यह विश्वविद्यालय देश एवं प्रदेश का ऐसा उत्त्कृष्ट शिक्षण संस्थान है जिसका लक्ष्य स्नातक, स्नातकोत्तर, एम. फिल, पी-एच.डी., सर्टिफ़िकेट, डिप्लोमा, एवं राष्ट्र की मूलभूत समस्याओं के समाधान पूरक तथा सामाजिक सरोकारों से सम्बद्ध विषयों को समाहित करने वाले उच्च स्तरीय आधारभूत एवं रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रमों के साथ भौतिक शोध का वातावरण प्रदान कर विध्यार्थियों में वैश्विक सामर्थ्य विकसित करना है।
इस संस्थान में कला, वाणिज्य एवं विज्ञान संकाय के अंतर्गत सभी विषयों का अध्ययन एवं सामाजिक सरोकारों से युक्त मूल्यपरक शोध (पी-एच.डी.) हेतु समस्त सुविधाएँ उपलब्ध हैं, सर्टिफिकेट एवं डिप्लोमा कोर्स, स्नातक स्तर में मनोविज्ञान, संगीत, दर्शनशास्त्र, भौतिक (आनर्स), रसायन शास्त्र (आनर्स), प्राणी शास्त्र (आनर्स), मास्टर ऑफ़ सोशल वेलफेयर पाठ्यक्रम तथा एम.बी.ए. पाठ्यक्रम इस सत्र 2020-21 से विश्वविद्यालय में प्रारम्भ किए जा रहे है। समर्पित, योग्य एवं कुशल शिक्षकों द्वारा अध्यापन, विश्वविद्यालय की विशेषता है। समय पर परीक्षा एवं परीक्षा परिणामों की घोषणा के लिए यह विश्वविद्यालय पूरे प्रदेश में जाना जाता है। सुदृढ़ प्रयोगशालाएँ, उन्नत पुस्तकालय, विस्तृत खेल सुविधाएँ विश्वविद्यालय की विशेषताएँ हैं। विश्वविद्यालय में 121 शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक 104 पद स्वीकृत हैं। विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर स्तर पर 108 विषय एवं पी-एच.डी. हेतु 11 विषय संचालित हैं।
विश्वविद्यालय के पास पूर्व से 26 एकड़ भूमि है जिसमें विश्वविद्यालय का शहडोल परिसर संचालित है। शहडोल परिसर में कला, वाणिज्य एवं स्पोर्ट्स कि कक्षाएँ संचालित होंगी। विश्वविद्यालय के रूप में उन्नयन किए जाने हेतु जिला प्रशासन द्वारा सुरम्य प्राकृतिक वातावरण में ग्राम नवलपुर में सरफा नदी के तट पर 44 एकड़ भूमि प्रदान की गयी है, जहाँ पर विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन, अकादमिक भवन, प्राध्ययन केंद्र, पुस्तकालय, महिला एवं पुरुष छात्रावास, कैंटीन आदि का विधिवत लोकार्पण हो चुका है तथा बी.एस-सी., एम.एस-सी. एवं एम.बी.ए. की कक्षाएँ इसी सत्र से इस परिसर में संचालित होंगी। विश्वविद्यालय के लिए नवलपुर में 50 एकड़ की अतिरिक्त भूमि आवंटित हो चुकी है। विश्वविद्यालय के दोनों परिसर का हरा-भरा सुरम्य वातावरण विध्यार्थियों को अध्ययन के लिए अनुकूल वातावरण देता है।
विश्वविद्यालय की योजना है कि अन्य राष्ट्रीय संस्थानों से समन्वय करके रोजगारमूलक सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम प्रारम्भ किए जाएँ जिसमें विध्यार्थी अध्ययन के साथ-साथ रोजगारोन्मुखी शिक्षा भी प्राप्त कर सकें।